और ... चल पड़े मौत के सफ़र पर .... आदतें सुधारें ... करें नियमों का पालन ......>>> mukesh sahu
हर इंसान के अंदर कुछ ना कुछ आदतें अवश्य होती हैं ! आदतें अच्छीं और बुरी दोनों तरह की होती हैं ! आदतें तो आदतें होती है बुरी हों या अच्छी और इनका अच्छा और बुरा प्रभाव भी इंसान के ऊपर ही पड़ता हैं !आदतें अगर अच्छी हैं तो सब कुछ अच्छा होता है और आदतें अगर गलत हों तो सब कुछ गलत ! गलत आदतों से होते हैं भयावह परिणाम जो इंसान को जीवन भर भुगतने पड़ सकते हैं या भुगतने पड़ते हैं ! और एक की गलतियों की सजा भुगतना पड़ती है उसके पूरे परिवार को ! हमारे देश में तो आज अच्छी आदत वालों का तो अकाल सा पड़ गया है और बुरी आदत वालों से यह संसार भरा पड़ा है ! आज कितनी ही बुरी आदतें हमारे अपने अंदर हैं , शायद इस बात का अहसास और जानकारी हमें पूरी तरह से है किन्तु हम उनमें सुधार कभी नहीं करते या शायद हम सुधार करना नहीं चाहते ! और हम करते हैं बार - बार ऐसी गलतियाँ जिनका परिणाम कभी हमें अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है या जीवन भर की व्याधि ! किन्तु अब हमें सुधार लाना होगा अपनी गलत आदतों में ! क्योंकि हम अकेले नहीं हैं इस दुनिया में , आज हमसे कई लोग जुड़े हुए हैं जो हमारी छोटी सी तकलीफ भी बर्दाश्त नहीं कर पाते, हमारे माता -पिता , भाई -बहन , पत्नि , बच्चे , हमारे जीवन में हमारे लिए क्या मायने रखते हैं इसका अंदाजा हम सबको अच्छी तरह से हैं ! तो अपनी गलत आदतों का परिणाम हम उन्हें क्यों भुगतने दें ! आज हर इंसान को जल्दी है , कभी ऑफिस पहुँचने की तो कभी घर पहुँचने की , कभी अपनी मंजिल पर पहुँचने की तो कभी महबूबा से मिलने की जल्दबाजी , कभी एक दुसरे से आगे निकलने जल्दबाजी , और जल्दबाजी हम कहाँ दिखाते हैं सड़कों पर जी हाँ सड़कों पर जहाँ इंसान की एक गलती उसकी या किसी अन्य की जान पलक झपकते ले लेती है और वो भी सिर्फ जल्दबाजी और हमारी गलत आदतों की वजह से ! मैं यहाँ आज इंसान की उन आदतों की बात कर रहा हूँ जो हम कभी नहीं सुधारते और हर बार ऐसी गलतियाँ करते हैं जो इन्सान शायद कभी नहीं भूल पाता ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ हमारे यातायात के नियमों की वो नियम जो हमारे जीवन को बचाने के लिए हमारी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! जिनका अनुशरण करने से हमें जिंदगी मिलती हैं और उनकी अनदेखी और अवहेलना करने पर मिलती हैं मौत ! जब से इस देश में इंसानी जनसँख्या की तरह वाहनों की संख्या बड़ी है तब से लेकर आज तक लाखों लोग सड़क हादसों में काल का ग्रास बन चुके हैं ! इन रोज रोज होने वाले सड़क हादसों में ना जाने कितने ऐसे लोगों को यह सड़कें अपना ग्रास बना चुकी हैं जिन्होंने सड़क पर चलते हुए उन नियमों को दरकिनार किया जो उसकी जान बचा सकते थे ! आज इन्सान को इतनी जल्दी होती है कि वह भूल जाता है वो सारे नियम कानून जो उसकी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! आज की युवा पीढ़ी तो सड़कों पर रेस लगाती है वो भी पहले मौत पाने की ! आज हमारी गलतियों कि सजा हमारे परिवार को भुगतनी पड़ती है वह भी जीवन भर ! इन हादसों ने कभी ना कभी हमें एक सन्देश दिया है और आगाह जरूर किया होगा तो फिर क्यों नहीं सुधारते हम अपनी गलतियाँ ! हम क्यों भाग रहे हैं मौत के पीछे ? आज रोज रोज होती गलतियों से कितने मासूम अनाथ हो गए ? कितने बूढ़े माँ-बाप आज जी रहे हैं अपने जवान बच्चों की मौत के गम में ! आज कितनी दुल्हने ऐसी हैं जो सिर्फ एक दिन की दुल्हन बन कर रह गयी और लुट गयी उनकी खुशियाँ सिर्फ इन सड़क हादसों में ! आज का युवा तो इतना जोश में होता है जिसे किसी की परवाह ही नहीं होती है ! कोई नियम कानून की उसे परवाह नहीं करता और इन सडकों को बना लेता है रेश का मैदान और अंधों की तरह भागता है इन सड़कों पर मौत की बाजी लगाने को ! युवाओं ना दौड़ें अपनी ही मौत की तरफ ! हो सकता है आपको जाना हो दूर .... ना की जिंदगी से दूर .................
हिंदुस्तान में तो कोई भी नियम कानून का पालन नहीं करता ! उस पर हिंदुस्तान की सड़कें जिन पर पैदल चलना तक मुस्किल है फिर वहां पर वाहन किस तरह चलते होंगे , इसका अंदाजा आप सभी को अवश्य होगा खासकर बरसात का मौसम बीत जाने के बाद ! आज हमारे यहाँ वाहनों में जिस तरह यात्रियों को भरा जाता है उससे हमें सिर्फ उन जानवरों की याद आती है जिन्हें कटने मरने के लिए ट्रकों में भरकर बूचडखाने ले जाया जाता है ! ठीक यही हालत है आज हिंदुस्तान की बसों और डग्गामार वाहनों की ! सरकार तो इनका आज तक कुछ बिगाड़ नहीं पाई और ना कभी कुछ बिगाड़ पायेगी क्योंकि आप तो जानतें हैं हमारी यातायात पुलिस को १० या २० रुपये दो तो वह इन वाहनों को ( मौत वाहिका ) कभी नहीं रोकेगी फिर चाहे ५० यात्रियों वाली बस में २०० व्यक्ति क्यों ना हों ! पुलिस को तो २० रूपए मिल गए फिर चाहे २०० यात्री जाएँ मौत के मुंह में , क्या फर्क पड़ता है ? क्या हैं आज के इन्सान के जीवन का मूल्य इस भ्रष्ट दुनिया में ? सिर्फ हम ही कर सकते हैं अपनी सुरक्षा ! " अगर हम नहीं दौड़ेंगे उस पथ पर ऐसे .......... जिस पथ पर पल पल पर मौत है .......
क्योंकि हमें जाना हैं दूर ........... ना की जिंदगी से दूर .....................
करें यातायात नियमों का पालन ........... धीरे चलिए ..........सुरक्षित चलिए ................
धन्यवाद
हिंदुस्तान में तो कोई भी नियम कानून का पालन नहीं करता ! उस पर हिंदुस्तान की सड़कें जिन पर पैदल चलना तक मुस्किल है फिर वहां पर वाहन किस तरह चलते होंगे , इसका अंदाजा आप सभी को अवश्य होगा खासकर बरसात का मौसम बीत जाने के बाद ! आज हमारे यहाँ वाहनों में जिस तरह यात्रियों को भरा जाता है उससे हमें सिर्फ उन जानवरों की याद आती है जिन्हें कटने मरने के लिए ट्रकों में भरकर बूचडखाने ले जाया जाता है ! ठीक यही हालत है आज हिंदुस्तान की बसों और डग्गामार वाहनों की ! सरकार तो इनका आज तक कुछ बिगाड़ नहीं पाई और ना कभी कुछ बिगाड़ पायेगी क्योंकि आप तो जानतें हैं हमारी यातायात पुलिस को १० या २० रुपये दो तो वह इन वाहनों को ( मौत वाहिका ) कभी नहीं रोकेगी फिर चाहे ५० यात्रियों वाली बस में २०० व्यक्ति क्यों ना हों ! पुलिस को तो २० रूपए मिल गए फिर चाहे २०० यात्री जाएँ मौत के मुंह में , क्या फर्क पड़ता है ? क्या हैं आज के इन्सान के जीवन का मूल्य इस भ्रष्ट दुनिया में ? सिर्फ हम ही कर सकते हैं अपनी सुरक्षा ! " अगर हम नहीं दौड़ेंगे उस पथ पर ऐसे .......... जिस पथ पर पल पल पर मौत है .......
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mukesh sahu
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